कांगला टांग्बी युद्व स्मारक, सी एम एम जबलपुर
1. इम्फाल दीमापुर रोड पर कांग्ला टांग्बी नाम का एक गाॅव स्थित हैं। सन 1944 में दूसरे विश्व युद्व के दौरान यह गाॅव एक विशिष्ट स्थान के रूप में इतिहास पटल पर उभर कर सामने आया। जब 221 अँँग्रेज आयुद्व डिपो के साहसी जवानो ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए इसी स्थान पर जापानी सेना को जबरजस्त शिकस्त दिया।
2. घटना मार्च 1944 की हैं जब जापानी सेना ने अपनी दोगुनी ताकत के साथ भारतीय सेना के 17वीं इन्फेन्ट्री डिविजन को मात देते हुए मनीपुर से कोहिमा तक अपना कब्जा जमा लिया। बिना किसी विरोध का सामना किये जापानी सेना मुख्य मार्ग पर स्थित आयुद्व डिपो की ओर बढ रही थी। 05 अप्रैल 1944 को जापानी सेना ने इस डिपो पर हमला बोल दिया ।
3. दुर्भाग्यवश जापानी सेना जो कि निर्विरोध आगे बढ रही थी उसे 221 अग्रिम आयुद्व डिपो के जवानो के साहस और मनोबल का सही अंदाजा नहीं था। जिसके कारण उनका हमला विफल रहा मेजर बाॅयड (चीफ आयुद्व अधिकारी) के नेतत्व में एक आत्मघाती स्कोड का गठन किया जो कि जापानी सेना के हर गतिविधी पर निरंतर निगाह बनाये हुए थी और इस तरह से जापानी सेनाके हर प्रहार को नाकाम करने मे भारतीय सेना सफल रही।
4. जिसके परिणाम स्वरूप जापानी सेना को वहीं पर रोक दिया और समय रहते डिपो में रखे 3600 टन गोला बारूद को डिपो से हटा कर इम्फाल लाने में कामयाब रहे जो कि कुल स्टोर का 75 प्रतिशत था। परिणाम स्वरूप 1944 के गुड फ्राइडे के दिन डिपो पुरी तरह से खाली कर दिया गया। इस पुरी प्रक्रिया के दौरान हमारे आयुद्व कोर के 18 जवान शहीद हो गये। उनके अदम्य साहस के लिए मेजर बाॅयड को मिलिट्री क्राॅस एवं हवलदार कलर्क बसंत सिंह को आई डी एस एम प्रदान किया गया।
5. इस घटना को जीवंत रखने के लिए 221 एडवांस आयुद्व डिपो के मुख्य द्वार पर शहीद जवानो की याद में कांग्ला टांग्बी युद्व स्मारक का निर्माण किया गया।
6. बीते हुए समय के साथ चुंकि उस स्थान के आस पास कोई ए़॰ ओ॰ सी॰ का यूनिट न होने के करण स्मारक का रख रखाव नहीं हो रहा था इसके मद्देनजर ब्रिटिश आर्मी के ग्रेव कमीशन के सुझाव को मानते हुए सन 1976 में ए़॰ ओ॰ सी॰ स्कूल (अब सी ॰एम ॰ एम) में स्थानांतरित किया गया ।
7. आज यह स्मारक ए़॰ ओ॰ सी॰ के सभी रैंको के लिए प्रेरणा एंव गौरव का के स्रोत हैं। यह इस लक्ष्य को स्वंय मे समाहित किये हैं की परदे के परिदृश्य के पीछे से संचालन करने वाला व्यक्ति किस तरह अपनी योग्यता के बल पर विजय गाथा की रचना करता हैं।
![]() कांगला टांग्बी युद्व स्मारक, सी एम एम जबलपुर
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![]() कांगला टांग्बी युद्व स्मारक, सी एम एम जबलपुर
पर लगी पट्टिका (शिलालेख)
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स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह : 2022

