इतिहास

भारत में आर ए एफ की आर्मी एविएशन विंग की शुरुआत वर्ष 1942 में हुई और अगस्त 1947 में पहली इंडियर एयर ऑब्जर्वेशन पोस्ट फ्लाइट का गठन किया गया। यह एयर ऑब्जर्वेशन पोस्ट 1950 के पूरे दशक में एक छोटी एवं सर्वोत्कृष्ट शाखा बनी रही और 1965 के युद्ध की पूर्व संध्या को, इस एयर ऑब्जर्वेशन पोस्ट में केवल एक स्क्वॉड्रन और चार फ्लाइट्स शामिल थीं। 1965 और 1971 के भारत पाक युद्धों में इसके हवाई योद्धाओं ने गौरवपूर्ण इतिहास रचा और आकाश में शौर्य एवं वीरता के अपने असंख्य कारनामों से खूब नाम कमाया। सेना में चेतक हेलिकॉप्टर मार्च 1969 में शामिल किए गए और चीता हेलिकॉप्टर पहली बार 1971 में शामिल किया गया। 

आर्मी एविएशन कोर की स्थापना 1 नवंबर 1986 को की गई और इसे तुरंत “ऑपरेशन पवन” में शामिल किया गया जो कि नई गठित इस कोर के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा थी। एक से अधिक मायनों में, यह एयर एविएशन की अग्नि परीक्षा थी और इसने बड़े ही गर्व और उत्साह से इसमें भाग लिया। जहां चेतक हेलिकॉप्टरों ने लॉजिस्टिक्स संबंधी कार्यों का जिम्मा लिया, चीता हेलिकॉप्टरों को 'रंजीत' नाम दिया गया और उन्होंने अपनी मीडियम मशीन गनों के साथ आक्रामक ढंग से ऑपरेट किया। 

सियाचिन ग्लेशियर आर्मी एविएशन कोर के लिए अंतिम मोर्चा है। नियमित रूप से 20,000 फुट और उससे अधिक की ऊंचाई पर अपनी उड़ान क्षमता की चरम सीमा पर ऑपरेट करने वाले चीता हेलिकॉप्टर ग्लेशियर वर्कहॉर्स के रूप में कठिन समय में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा है। आर्मी एविएशन कोर सुपर हाई एल्टिट्यूड पर लगातार ऑपरेट करते हुए जीवन रक्षक लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान कर रही है, यह एक ऐसी उपलब्धि है जो विश्व की किसी भी अन्य सेना के पास नहीं है, और इसके साथ-साथ इसने अकेले ही सैकड़ों ज़िंदगियों को बचाने का काम किया है। 

ऑपरेशन विजय आर्मी एविएशन का सुनहरा दौर था जब कुछ अच्छे लोगों के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। उनके पेशेवर रुख, धैर्य, साहस एवं रणनीतिक कौशल और उत्कृष्ट प्रदर्शन का सम्मान करते हुए इसकी दो स्क्वॉड्रनों को सेनाध्यक्ष यूनिट प्रशस्ति-पत्रों, दो वीर चक्रों और कई अन्य वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

सम्मान एवं पुरस्कार। अपने साहसी कारनामों से, आर्मी एविएशन के पायलटों और जवानों ने निम्नलिखित सम्मान एवं पुरस्कार अर्जित करते हुए अपने लिए एक खास जगह बनाई है :- 

(क) परम विशिष्ट सेवा पदक  05
(ख) महा वीर चक्र  02
(ग) उत्तम युद्ध सेवा मेडल 03
(घ) वीर चक्र  16
(च) अति विशिष्ट सेवा मेडल 10
(छ) शौर्य चक्र  11
(ज) युद्ध सेवा मेडल 08
(झ) सेना मेडल 86
(ट) विशिष्ट सेवा मेडल 27
(ठ) वायु सेना मेडल 09
(ड) मेंशन-इन-डिस्पैच 54

 

अपने गठन के समय से ही जम्मू एवं कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत में सी आई एवं सी टी ऑपरेशनों में लगातार भागीदारी ने आर्मी एविएशन को निरंतर जारी ऑपरेशनों में संयुक्त सेनांग दल का एक अविभाज्य अंग बना दिया है। इन निडर और समर्पित आर्मी एविएटरों के प्रयासों ने इन ऑपरेशनों में सेना की क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया है। 

आर्मी एविएशन की पहली फ्लाइट मार्च 2005 में यू एन मिशन (MONUSCO) के अंग के रूप में कॉन्गो गई और उसके बाद फ्लाइट की जगह जुलाई 2009 में एक सैन्य टुकड़ी को भेजा गया। एन वी जी मॉडिफिकेशन के साथ 04 चीता हेलिकॉप्टरों सहित 12 अफसरों, 02 जे सी ओ, 52 अन्य रैंक को कॉन्गो में तैनात किया गया। इस सैन्य टुकड़ी का छठा रोटेशन मार्च 2011 में किया गया। 

आर्मी एविएशन भी भारतीय सेना के चल रहे आधुनिकीकरण के साथ कदम मिलाते हुए तीव्र ऑपरेशनल विकास के पथ पर अग्रसर है। वर्ष 2001 में आर्मी एविएशन में पहली एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ए एल एच) स्क्वॉड्रन का गठन किया गया। वर्ष 2004 में दूसरी ए एल एच स्क्वॉड्रन, 202 आर्मी एविएशन स्क्वॉड्रन का गठन किया गया और उसके बाद वर्ष 2007 में 203 आर्मी एविएशन स्क्वॉड्रन (यू एच)  और वर्ष 2009 में 204 आर्मी एविएशन स्क्वॉड्रन (यू एच) का गठन किया गया। चार एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर (ए एल एच) स्क्वॉड्रनों के गठन के बाद, हाई एल्टीट्यूड ऑपरेशनों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए अधिक पावरफुल शक्ति इंजनों के साथ पांचवीं ए एल एच स्क्वॉड्रन का बंगलोर में गठन किया जा रहा है ताकि यह उपयोगी (यूटिलिटी) भूमिकाओं की क्षमता में वृद्धि कर सके। ए एल एच ने, जिसका उपनाम “ध्रुव” है, आर्मी एविएशन में ऑपरेशनों का रुख बदल दिया है और यह सेना की सामरिक क्षमता में पहले ही काफी वृद्धि कर चुका है। 

आर्मी एविएशन एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंच गया जब पहली बार, घाटी में निर्धारित/ चुनिंदा हेलिपेडों के बीच रात में ए एल एच को ऑपरेट करने की क्षमता के साथ 18 सितंबर 2009 की रात 15 कोर की 202      ए एल एच स्क्वॉड्रन को ऑपरेशनल घोषित कर दिया गया। इसके बाद 201 ए एल एच स्क्वॉड्रन को ट्रूप्स के साथ सभी यूटिलिटी मिशनों के लिए मार्च 2010 में रात को पूरी तरह ऑपरेशनल घोषित कर दिया गया। ए एल एच को शामिल करने से यूटिलिटी एविएशन सपोर्ट में अचानक भारी वृद्धि हुई है। घाटी में कई काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन केवल पूरी तरह एकीकृत ए एल एच सपोर्ट उपलब्ध होने के कारण संभव हुए हैं। 

यह महत्वपूर्ण है कि इस स्तर के शक्तिशाली फोर्स मल्टिप्लायर को काम में लेने के लिए एक प्रभावी और प्रतिक्रियाशील कमान एवं नियंत्रण संरचना की जरूरत है जिसके पास युद्ध के विविध चरणों के दौरान अटैचमेंट/ डिटैचमेंट को स्वीकार करने संबंधी पर्याप्त लचीलापन हो। इस उद्देश्य के लिए, कोर एविएशन ब्रिगेडों के गठन की योजना बनाई गई है। इस संबंध में पहले कदम के रूप में, 14 कोर के लिए कोर एविएशन बेस लेह में तैयार किया गया है। 

1 नवंबर 2011 को 25 गौरवशाली वर्ष पूरे होने के समीप होने पर, आर्मी एविएशन कोर सैन्य मामलों में क्रांति के शिखर पर चढ़ रही है। नि:संदेह यह भविष्य का सेनांग है -  जिसकी क्षमता अभी पहचानी जा रही है और उसका प्रयोग किया जा रहा है।