

इतिहास
आर वी सी का इतिहास 1779 से आरंभ होता है परंतु आर वी सी का दर्ज इतिहास1920 से उपलब्ध है। आर्मी वेटरिनरी स्कूल 1929 तक पूना में स्थित था जिसके बाद इसे अम्बाला स्थानांतरित कर दिया गया। 01 दिसंबर 1942 को इस सेंटर को एक प्रशिक्षण स्थापना के रूप में पुनर्गठित करके इसे अम्बाला स्थानांतरित कर दिया गया तथा मई 1947 में इसे सबाथु स्थानांतरित कर दिया गया और अंतत: 17 अप्रैल 1948 को इसे मेरठ में गिलेस्पी लाइन में स्थापित किया गया एवं इसकी वर्तमान लोकेशन ब्रिटिश इन्फैंट्री लाइंस में है। कोर के साथ मिलिट्री फार्म्स को शामिल किए जाने एवं सागर से आर्मी इक्विटेशन स्कूल, अम्बाला से आर्मी वेटरिनरी स्कूल एवं मेरठ से मिलिट्री फार्म स्कूल का विलय किए जाने के पश्चात सेंटर का पुनर्नामकरण आर वी एफ सी के रुप में कर दिया गया।
1960 में मिलिट्री फार्म्स को दो भागों में बांटकर अलग किए जाने पर इससेंटर का पुनर्नामकरण आर वी सी सेंटर एवं स्कूल के रूप में कर दिया गया। 01 मार्च 1960 को डॉग ट्रेनिंग फैकल्टी इस सेंटर का अभिन्न अंग बनी।
01 जनवरी 2005 को आर वी सी सेंटर एवं स्कूल का पुनर्नामकरण आर वी सी सेंटर एवं कॉलेज के रुप में किया गया।


आर वी सी सेंटर एवं कॉलेज सभी आर वी सी कार्मिकों का कॉलेज/संस्थान है जहां वे सेवा आरंभ करते है, प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं तथा सेवानिवृत होते हैं। यह सेंटर युवा वेटरिनरी स्नातकों को कमीशन प्रदान करने पर एवं कोर के विभिन्न तकनीकी ट्रेड़ों, जैसे नर्सिंग सहायक वेटरिनरी, राइडर्स, आर्मी डॉग ट्रेनर्स, केनलमेन, लेबोरेट्री असिस्टेंट वेटरिनरी, फेरियर्स, क्लर्कों को मूलभूत सैन्य एवं तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करता है ताकि वे मूक पशुओं की सेवा के पेशे में कुशलता हासिल कर सकें जो फोर्स मल्टीप्लायर के रुप में कार्य करते हैं।
भूमिका
आर वी सी सेंटर एवं कॉलेज की भूमिका आर वी सी अफसरों कोर/अन्य सेनांगों एवं सेवाओं के सैनिकों तथा सेना के श्वानों(आर्मी डॉग्स) एवं मित्र राष्ट्रों के छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान करने की है। इसकी संकाय वार भूमिका निम्नलिखित है-
वेटरिनरी प्रशिक्षण फैकल्टी(वी टी एफ)

यह फैकल्टी आर वी सी अफसरों /पी बी ओ आर के लिए विभिन्न व्यावसायिक कोर्सों का आयोजन करने के लिए जिम्मेदार है ताकि वे वेटरिनरी साइंस के विभिन्न क्षेत्रों में नवीनतम जानकारी से अवगत हो सकें। यह भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान के सहयोग से अश्व पशुपालन, चिकित्सा एवं सर्जरी में स्नातकोत्तर राष्ट्रीय डिप्लोमा कोर्स आयोजित करता है। प्रति विद्रोहिता ऑपरेशनों में आर्मी डॉग यूनिटों की बढ़ती हुई तैनाती के मद्देनजर कैनाइन मेडिसिन एवं सर्जरी कोर्स भी शुरु किया गया है। लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक में पदोन्नति के लिए अनिवार्य कोर्स के तौर पर आर वी सी अफसरों के लिए वी ओ जे सी कोर्स आरंभ किया गया है। यह आर वी सी यंग अफसरों (आर वी वाई ओ) को वेटरिनरी प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह आर एंड वी रेजिमेंट एवं स्क्वाड्रन के एन सी सी अफसरों के लिए पुनश्चर्या कोर्स आयोजित करता है। अन्य सेनांगों एवं सेवाओं जिनमे पी एम एफ एवं मित्र राष्ट्र भी शामिल हैं, के जे सी ओ/ अन्य रैंकों के लिए वेटरिनरी प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण प्रदान करता है। इस विंग का फैंरियरी ट्रेनिंग ट्रूप फैरियर्स के लिए फैरियरी प्रशिक्षण एवं अपग्रेडेशन काडर कोर्सों का आयोजन करता है। या पी एम एफ कार्मिकों के प्रशिक्षण एवं आर वी सी सेंटर एवं कॉलेज की नफरी पर धारित सभी घोड़ों की नालबंदी के लिए भी जिम्मेदार है।
डॉग ट्रेनिंग फैकल्टी(डी टी एफ)

इन्फैंट्री पैट्रोलिंग, गार्डिंग, ट्रैकिंग, हिमस्खलन बचाव ऑपरेशन, विस्फोटक एवं बारुदी सुरंगों का पता लगाने जैसे विशेषज्ञतापूर्ण कार्यों में तैनात कार्मिकों एवं श्वानों को आज्ञाकारिता एवं एडवांस प्रशिक्षण प्रदान करना। हाल ही में प्रशिक्षण के दायरे को खोज एवं बचाव ऑपरेशन, कच्चे तेल की लीकेज का पता लगाने एवं असॉल्ट डॉग्स तक विस्तृत कर दिया गया है। यह फैकल्टी आई एम ए में आयोजित प्रशिक्षण अभ्यास में प्रदर्शन आयोजित करने, अति विशिष्ट व्यक्तियों/गणमान्य व्यक्तियों के दौरों के समय संबंधित स्थानों को सेनिटाइज करने, विभिन्न एडी यू, एन एस जी, एस एफ एफ एवं मित्र राष्ट्रों को प्रशिक्षित शवान प्रदान करने एवं अन्य सेनांगों, भारतीय वायुसेना, पी एम एफ एवं मित्र राष्ट्रों के अफसरों एवं पी बी ओ आर के लिए विभिन्न अपग्रेडेशन कोर्सों के अलावा श्वान प्रशिक्षण के विभिन्न प्रबंधकीय एवं प्रशिक्षण संबंधी पहलुओं को शामिल करते हुए प्रशिक्षण कोर्स आयोजित करने के लिए भी जिम्मेदार है। सेना, वायुसेना, एन एस जी एवं एस एफ एफ की जरूरतों को पूरा करने के लिए पिल्लों की ब्रीडिंग एवं खरीद की जाती है। यह फैकल्टी आर्मी डॉग्स की जी एस एवं मेंटेनेंस रिजर्व भी रखती है एवं आर्मी डॉग यूनिटों में कमी को पूरा करने के लिए प्रशिक्षित श्वान भी प्रदान करती है।
इक्विटेशन(घुड़सवारी) एवं पशु प्रबंधन फैकल्टी

यह फैकल्टी कोर के सभी रैंकों को एवं अन्य सेनांगों एवं सेवाओं, अर्ध सैनिक बलों एवं मित्र राष्ट्रों के अफसरों , जे सी ओ एवं अन्य रैंकों को इक्विटेशन एवं हॉर्स मास्टरशिप का एडवांस प्रशिक्षण प्रदान करती है। भारतीय सेना में अपनी किस्म की यह एकमात्र संस्था है जो घोड़ों एवं राईडरों को एडवांस इक्विटेशन प्रशिक्षण प्रदान करती है और इस प्रकार अश्वारोही खेलों में अहम योगदान प्रदान करती है। इस विंग को भारत में अश्वारोही खेल सुविधाओं में सुधार के लिए नोडल केंद्र के रुप में घोषित किया गया है जिसकी तुलना फ्रांस में स्थित समर(samur) से की जा सकती है।
सेंटर/प्रशिक्षण रेजिमेंट


यह सेंटर कोर के सभी रैंकों को बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग(बी एम टी) प्रदान करता है जिसमें आर वी यंग ऑफिसर्स का कमीशन उपरांत प्रशिक्षण भी शामिल है। यह पी बी ओ आर के लिए विभिन्न अपग्रेडेशन एवं पदोन्नति कैडर कोर्स भी आयोजित करता है। सभी रैंक(अफसरों के अलावा) उनके दस्तावेजों के संबंध में अंतिम कार्रवाई किए जाने एवं डिस्चार्ज प्रमाण पत्र जारी किए जाने के पश्चात इस सेंटर से सेवानिवृत होते हैं। उन्हें इस कोर एवं सर्विस से विदाई देने से पहले पेंशन एवं ग्रेच्युटी आदि का भुगतान कर दिया जाता है। कोर के सभी सेवानिवृत होने वाले कार्मिकों को सेवानिवृति के पश्चात होने वाले लाभ, जे सी ओ एवं अन्य रैंको के लिए पुनर्वास एवं, पुनर्नियोजन अवसरों के संबंध में एक व्यापक पैम्फलेट जारी किया जाता है। यह सेंटर यू एच क्यू कोटा के आधार पर सेवानिवृत्ति संबंधी कार्रवाई के लिए भी जिम्मेदार है।
आर्मी इक्विस्ट्रियन नोड
2000 में आयोजित अटलांटा ओलम्पिक खेलों के पश्चात तत्कालीन सेनाध्यक्ष ने मिशन ओलम्पिक 2004 की संकल्पना प्रस्तुत की। इसमें दस खेल स्पर्धाओं का चयन किया गया जिसमें से एक इक्विस्ट्रियन भी थी। आर वी सी सेंटर एवं कॉलेज को इक्विस्ट्रियन के लिए नोडल केंद्र के रुप में नामित किया गया।
आरंभ में 12 राइडर्स एवं 24 घोड़ों को विदेश में दो वर्ष के लिए प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराने तथा मेरठ, दिल्ली एवं बंगलौर में नौ करोड़ रु की लागत से आधार भूत ढांचा विकसित करने की योजना बनाई गई। इस संबंध में सहमति नहीं प्रदान की गई तथा सेना को एक नोड़ अर्थात मेरठ में ही आधारभूत ढांचा विकसित करने के लिए बजट कम करने का आदेश दिया गया।
बॉयज स्पोटर्स कंपनी
इस स्थापना में एक बॉयज स्पोटर्स कंपनी गठित करने कि लिए औपचारिक आदेश प्राप्त होने पर बॉयज का चयन करने के लिए 04 जनवरी 2005 को एक भर्ती रैली का आयोजन किया गया। कुल 1860 बॉयज इस रैली में शामिल हुए जिनमें से 13 का चयन किया गया। बॉयज स्पोटर्स कंपनी की शुरुआत 01 अप्रैल 2005 से मानी जाती है।
चयनित बॉयज की शिक्षा सेना की जिम्मेदारी होगी एवं स्पोटर्स किए अनुदान, शिक्षा अनुदान, वार्षिक अनुदान, चिकित्सा व्यय अनुदान भारतीय खेल प्राधिकरण (एस ए आई) द्वारा प्रदान किया जाएगा। बी एस सी इक्विस्ट्रियन नोड़ एवं संबंधित स्पर्धाओं के लिए फीडर स्थापना के रुप में तेजी से प्रगति कर रही है।
वेटरिनरी ट्रेनिंग फैकल्टी (वी टी एफ)

डॉग ट्रेनिंग फैकल्टी (डी टी एफ)

इक्विटेशन एवं पशु प्रबंधन फैकल्टी (ई एंड ए एम एफ)

आर वी यंग ऑफिसर्स के लिए बेसिक इक्विस्ट्रियन ट्रेनिंगप्रशिक्षण रेजिमेंट
बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग स्कवाड्रनतकनीकी प्रशिक्षण स्कवाड्रन
