संस्थान/प्रतिष्ठान

 

आर्मर्ड कॉर्प्स सेंटर और स्कूल (ए.सी.सी. और एस)
 
आर्मर्ड कॉर्प्स सेंटर और स्कूल महाराष्ट्र के अहमदनगर में स्थित है । 1921 में छः बख्तरबंद कंपनियां आई और 1924 में रॉयल टैंक कोर के कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए रॉयल टैंक कोर स्कूल की स्थापना अहमदनगर में की गई । 1948 में वर्तमान स्कूल और केंद्र बनाने के लिए फाइटिंग व्हीकल स्कूल के साथ मशीन गन स्कूल, प्रशिक्षण केंद्र, भर्ती प्रशिक्षण केंद्र, बख्तरबंद कोर भंडार और बख्तरबंद कोर अभिलेख को एकीकृत किया ।
 

 

 
आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल ट्रेनिंग (ए आई पी टी)
 
सेना की शारीरिक प्रशिक्षण संस्था जो पूर्व में सेना शारीरिक प्रशिक्षण स्कूल से मानी जाती थी, यह सेना के लिए शारीरिक और मनोरंजक प्रशिक्षण का उद्गम स्थल है । यह संस्था सेना शारीरिक प्रशिक्षण कोर की सभी गतिविधियों का केंद्र है । यह सेना में शारीरिक और मनोरंजक प्रशिक्षण से संबंधित सभी मामलो पर बुनियादी और उन्नत निर्देश प्रदान करता है ।
 
 
 
सेना सेवा कोर केंद्र कॉलेज
 
सेना सेवा कोर केंद्र और कॉलेज, भारतीय सेना के तीन प्रमुख संस्थानों जैसे ए एस सी स्कूल (पूर्व में बरेली में थी), तीन सेना यांत्रिक परिचालन स्कूल और ए एस सी केंद्र (दक्षिण) के एकीकृत द्वारा 01 मई 1991 को बैंगलोर में अस्तित्व में आई ।
 
 
 
कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (सी डी एम)
 
रक्षा प्रबंधन कॉलेज (सी डी एम) एक भारतीय रक्षा सेवा प्रशिक्षण संस्थान है । जो रक्षा सेवकों को प्रबंधन प्रशिक्षण प्रदान करता है । सी डी एम को तीनों सेवाओं के वरिष्ठ नेतृत्व में समकालीन प्रबंधन विचारों, अवधारणाओं और प्रथाओं को स्थापित करने की जिम्मेदारी सौपी गई है ।
 
 
 
 
कॉलेज ऑफ मिलिटरी इंजिनियरिंग (सी एम ई)
 
सैन्य अभियांत्रिकी कॉलेज (सी एम ई) भारतीय सेना का एक तकनीकी और सामरिक अभियांत्रिकी प्रशिक्षण संस्थान है । यहां  वे कॉम्बेट इंजीनियरों का प्रशिक्षण, सैन्य अभियांत्रिकी सेवा, सीमा सडक अभियांत्रिकी सेवा (बी आर ई एस) और सर्वेक्षण होता है ।
 
 
 
 
कॉम्बैट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल
 
सेना विमानन लड़ाई प्रशिक्षण केंद्र स्कूल भारतीय सेना का प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान है । स्कूल में सेना विमानन कोर के पाइलट प्रशिक्षित किए जाते हैं । यह स्कूल नाशिक, महाराष्ट्र में स्थित है । पहले स्कूल ऑफ आर्टिलरी, देवलाली में प्रशिक्षण का आयोजन होता था । सेना विमानन कोर भारतीय सेना की एकमात्र उड़ान शाखा है । कोर चीता, चेतक, एच ए एल ध्रृव और रुद्रा हेलिकॉप्टर को संचालित करते है ।
 
 
 
 
सी एम पी केंद्र और स्कूल
 
 सैन्य पोलीस की कोर भारतीय सेना की पोलीस है । इसके अलावा सी एम पी को युद्ध में हुए कैदी और यातायात को नियंत्रित करने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है  । उन्हें लाल बेरेट्स, सफेद लेनयार्ड्स और बेल्टस से पहचाना जाता है और वह काले बंधन जिसमे MP लिखा जाता है वह भी पहनते है ।
 
 
 
 
इलेक्ट्रिकल ऐन्ड मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्कूल
 
विद्युतीय और यांत्रिक अभियांत्रिकी स्कूल की स्थापना 15 अप्रैल 1963 को 1962 के भारत चीनी संघर्ष के बाद ई एम ई कोर के विस्तार की अगली कड़ी के रूप में हुई थी । 1967 में ई एम ई स्कूल (दक्षिण) सैन्य का विद्युतीय और यांत्रिक अभियांत्रिकी कॉलेज बन गया और ई एम ई स्कूल (उत्तर) को ई एम ई स्कूल से संबोधित किया गया ।
 
 
 
विदेशी ट्रेनिंग नोड
 
 मराठा एल आई आर सी और औन्ध स्टेशन को मित्र देशों की सेनाओं और भारतीय सेना की इकाइयों के साथ संयुक्त प्रशिक्षण संचालन के लिए नोड के रूप में नामित किया गया है । हर साल इन अभ्यासों को देखने, भाग लेने और खुद को प्रशिक्षित करने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी और स्वयं के गणमान्य व्यक्ति इन नोड्स का दौरा करते है । 
 
 
 
 
मिलिट्री इंटेलिजेंस ट्रेनिंग  स्कूल  और डिपो
 
पुणे में स्थित मिलिट्री इंटेलिजेंस ट्रेनिंग स्कूल  और डिपो (एम आई एन टी एस डी) सेना के सभी पदों और मित्र देशों से आसूचना और सुरक्षा में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारतीय सेना का एक प्रमुख संस्थान है । यह स्कूल अन्य सेवा, अर्धसैनिक बलों और केंद्रीय पुलिस संगठन के जवानो के लिए भी प्रशिक्षण आयोजित करता है ।
 
 
 
 
ऑफिसर ट्रेनिंग अकैडमी (ओ टी ए)
 
ऑफिसर ट्रेनिंग अकैडमी (ओ टी ए) भारतीय सेना का एक प्रशिक्षण संस्थान है जो अल्पकालीन सेवा आयोग (एस एस सी) के अधिकारियों को प्रशिक्षित करता है । ओ टी ए में 49 सप्ताह का कोर्स सैन्य चिकित्सा कोर को छोड़कर, सेना की शाखाओं के लिए चलाया जाता है ।
 
 
 
पक्षाघात पुनर्वसन केंद्र (पी आर सी)
 
 पक्षाघात पुनर्वसन केंद्र (पी आर सी) पहाडियों की श्रेणी किरकी, पुणे में स्थित है । यह रीढ़ की हड्डी की चोट से पीड़ित रक्षा व्यक्तियों के लिए एक प्रसिद्ध पुनर्वास केंद्र है । इस केंद्र का मुख्य उद्देश भारत के रक्षा बलों के कर्मियों की अच्छी देखभाल और पुनर्वास प्रदान करता है ।
 
 
 
क्वीन मेरी तकनीकी संस्थान
 
क्वीन मेरी टेक्निकल इंस्टीट्यूट की स्थापना 1917 में बॉम्बे में लेडी मेरी विलिंगडन द्वारा विकलांग सैनिकों के लिए क्वीन मेरी टेक्निकल स्कूल के रूप में की गई थी । यह स्कूल 1923 में पुणे चला गया । इसका प्रवेश भारतीय सेना और अन्य अर्धसैनिक बलों के विकलांग कर्मियों के लिए खुला है । यह विकलांग कर्मियों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करने के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान करता है और उन्हे मुख्यधारा में फिर से जोड़ने में मदद करता है ।
 
 
 
क्षेत्रीय प्रौद्योगिक नोड
 
भारतीय सेना रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास और नवीनीकरण को बढ़ावा देने और पोषक अन्वेषण के लिए पुणे में पहला क्षेत्रीय प्रौद्योगिक नोड स्थापित किया । सेना ने सरकार के आत्मनिर्भर और मेक इन इंडिया के कदमों को ध्यान में रखते हुए, रक्षा मंत्रालय और सेना में विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता को कम करने और रक्षा सामानों के निर्यात केंद्र के रूप में उभरने के उद्देश्य से रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण में बड़े कदम उठाए हैं।
 
 
 
 
स्कूल ऑफ आर्टिलरी
 
 भारतीय सेना के लिए स्कूल ऑफ आर्टिलरी की स्थापना काकुल में 1918 में की गई थी जो अब पाकिस्तान में है । जून 1941 में इस देवलाली में स्थानांतरित कर दिया गया । कराची में विमान भेदी स्कूल को भी देवलाली में स्थानांतरित कर दिया गया, और यह तोपखाना स्कूल के साथ 1947 में एक विंग के रुप में विलय हो गया ।