दक्षिणी कमान

 

1.     1857 के महान भारतीय विद्रोह का परिणाम न केवल ईस्ट इंडिया कंपनी से सत्ता का हस्तान्तरण था बल्कि मौजूदा सैन्य फार्मेशनों का पुनर्गठन भी था । भारतीय सेना को रुप देने के लिए 01 अप्रैल 1985 को प्रेसिडेंसी सेनाओं को समाप्त कर दिया गया । इस प्रकार चार कमान बम्बई, बंगाल, पंजाब और मद्रास अस्तित्व में आईं । इनमें बम्बई कमान का मुख्यालय पुणे में 01 अप्रैल 1985 को स्थापित किया गया तब से यह दिन कमान का स्थापना दिवस माना जाता है ।

2.     1908 के आसपास, भारतीय सेना की चार कमानों को पुनर्गठित करके दो सेनाओं में प्रतिस्थापित किया गया । उत्तरी सेना का मुख्यालय रावलपिंडी में तथा दक्षिणी कमान का मुख्यालय पुणे में था । 1920 के दशक की शुरुआत के आसपास फिर से चार कमान शुरु की गईं दक्षिणी कमान का मुख्यालय पुणे में, उत्तरी कमान का मुख्यालय रावलपिंडी में, पूर्वी कमान का मुख्यालय नैनीताल में तथा पश्चिमी स्वतंत्र मंडल जिसका दर्जा कमान के बराबर था, का मुख्यालय क्वेटा में था । दूसरे विश्व युद्ध के समय, दक्षिणी कमान का मुख्यालय कुछ समय के लिए बैंगलोर में स्थानान्तरित किया गया । यह स्थानान्तरण हवाई क्षेत्रों तथा बंदरगाहों की रक्षा करने के साथ-साथ जर्मनी तथा जापान की ओर से पूर्वानुमानित हमले से बचाव की तैयारी के लिए भी था । स्वतंत्रता के समय, दक्षिणी कमान 1895 में पुनर्गठन के शुरुआती चरण से संरचना को बनाए रखने के आधार पर भारतीय सेना का सबसे पुराना मैदानी फार्मेशन था और है ।

3.     दक्षिणी कमान का फार्मेशन चिन्ह क्रक्स है जिसे आमतौर पर दक्षिणी क्रॉस के रूप में जाना जाता है । यह चिन्ह क्रक्स नक्षत्र के चार सबसे चमकीले तारों पर आधारित है जो सदियों से दिशाज्ञान (नेविगेशन) का मानक रहा है । हिंदू खगोल विज्ञान के अनुसार, क्रक्स को त्रिशंकु, जो हिंदू पौराणिक कथाओं में एक चरित्र है, उसके रुप में संदर्भित किया जाता है।

4.    वर्तमान में, दक्षिणी कमान के अंतर्गत दो कोर मुख्यालय हैं जो जोधपुर और भोपाल में स्थित हैं । स्थिर फार्मेशनों के अंतर्गत महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा क्षेत्र हैं, जिसका मुख्यालय मुंबई में है तथा दक्षिण भारत क्षेत्र, जिसका मुख्यालय चेन्नई में है । दक्षिणी कमान के अंतर्गत ग्यारह राज्य और चार केंद्र शासित प्रदेश आते हैं जिसमें देश का लगभग 41 प्रतिशत भूभाग समाविष्ट है ।  इसके फॉर्मेशनस्, इस्टबलिशमेन्टस् और यूनिटस् 19 छावनियों और 36 सैन्य स्टेशनों में फैले हुए हैं ।

5.     स्वतंत्रता के बाद, दक्षिणी कमान ने कर्तव्यों तथा आकांक्षाओं को पुनः परिभाषित करके अपनी अलग पहचान बनाई है । यह एक मात्र ऐसी कमान है जिसने विदेशी ऑपरेशनों में भाग लिया । इसने व्यापक रुप से अन्य सेनाओं के साथ अभ्यास में भाग लिया तथा आपदा राहत में देश की सीमा के भीतर और परे उत्कृष्ट योगदान दिया है । दो सदियों के विकास की अपनी मजबूत नींव के साथ,  इसने खुद को एक दहला देनेवाली मैदानी सेना के रुप में प्रस्तुत किया है, जो दुनिया की सबसे बेहतरीन सेनाओं में से एक है ।  युद्ध में बार-बार खुद को श्रेष्ठ प्रमाणित करके, दक्षिणी कमान, नई सदी में सामरिक, मानवीय एवं विविध भूमिकाएं निभाने के लिए तैयार है ।