1. लोंगेवाला की लड़ाई
लोंगेवाला की लड़ाई (04-07 दिसम्बर 1971), 1971 की भारत पाक युद्ध में पश्चिमी सेक्टर में होनेवाली महत्वपूर्ण लड़ाई थी । यह लड़ाई राजस्थान के थार रेगिस्तान में स्थित भारतीय सीमा चौकी लोंगेवाला में पाकिस्तानी आक्रमणकारी और भारतीय सेना के बीच हुआ था । यह लड़ाई 120 भारतीय सैनिकों और चार हण्टर लड़ाकू विमानों की सहायता से 30-40 टैकों से लैस 2,000 - 3,000 पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ लड़ा था । अपने से काफी ज्यादा तादातों वाले शत्रु को हराने में भारतीय सेना ने जो धैर्य, दृढ़ता और वीरता का परिचय दिया था, वह सैन्य इतिहास में आज भी एक मिसाल बना हुआ है ।

छाछरो रेड उस ऑपरेशन का नाम हैं जो सन 1971 की बांग्लादेश युद्ध के दौरान 10 पैरा कमांडों के जवानों ने (जिसे Desert Scorpion भी कहा जाता है ) पाकिस्तानी सीमा के अंदर जाकर उनको शिकस्त दी थी । ले कर्नल भवानी सिंह ने इस ऑपरेशन का नेतृत्व किया था जो कि जयपुर के महाराजा भी हुआ करते थे और भारतीय सेना में ब्रिगेडियर पद से रिटायर्ड हुए है ।
इस ऑपरेशन के लिए दो टीमें (अल्फा और चार्ली) बनाई गयी थी, जिनको छाछरो और वीरवाह में आक्रमण करके उनका आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ना था, जो कि पाकिस्तानी सीमा से 80 किलोमीटर अन्दर है किंतु भारतीय कमाण्डों सीमा से 500 किलोमीटर अन्दर तक पहुंच गए और इस्लामकोट और नागरपारकर को भी हासिल किया ।
इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के 36 सैनिक मारे गये और 22 युद्ध बन्दी बनाए गए, जबकि इस पूरे ऑपरेशन में भारतीय सेना का कोई नुकसान नहीं हुआ । इस साहसी और कठिन कार्य के लिए ले कर्नल भवानी सिंह को महावीर चक्र (MVC) से नवाजा गया ।

3. परबत अली
परबत अली 1971 में भारत पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान में ग्रीन बैल्ट नया चोर तक पहुँचने वाला आखिरी बचा हुआ गढ़ था । यह पाकिस्तान में 65 किलोमीटर अंदर रेतीले वेस्टलेंड में एक गंजी पहाड़ी थी, जिस पर दुश्मन की 39 फ्रंटियर फोर्स राइफल्स की दो कम्पनिया मौर्टार और मशीन गनों के साथ तैनात थी । क्षेत्र की सुरक्षा के लिए माईन फिल्ड का लगाव और आपसी तालमेल बहुत अच्छा था ।
2 महार को ब्रिगेड के साथ हमला करने और राइट बम्प व फिंगर पोस्ट पर कब्जा करने का काम सौपा गया । 13 दिसंबर को 2 महार के अधिकारियों और जवानों ने निडरता के साथ हमला किया और गुथम गुत्था की लड़ाई में इलाके पर कब्जा कर लिया ।
