इतिहास

1.         भारतीय सेना के लिए आर्टिलरी स्‍कूल की स्‍थापना 01 अप्रैल 1918 को काकूल में की गई)  जो अभी पाकिस्‍तान में है( यह जून 1941 में देवलाली में स्‍थानांतरित हो गया । 1947 में कराची से एंटी-एयरक्राफ्‍ट स्‍कूल को देवलाली में स्‍थानांतरित कर दिया और आर्टिलरी स्‍कूल के साथ विंग  के रुप में इसका विलय कर दिया गया ।  स्‍कूल के तटीय आर्टिलरी विंग, जो बॉम्‍बे में स्थित था, उसे 1965 में भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था । 1947 में स्‍वतंत्रता के बाद से आर्टिलरी स्‍कूल में कई बदलाव हुए जिसके अनुरुप भारतीय सेना के आ‍धुनिकरण और विस्‍तार के फलस्‍वरुप तोपखाना रेजिमेंटो को स्‍थापित किया गया ।

 

2          वायु रक्षा विंग, विभाजन के बाद उड़ीसा के गोपालपूर मे स्‍थानांतरित हो गया और इसका नाम बदलकर वायु रक्षा निर्देशित मिसाइल स्‍कूल कर दिया गया है । 1982 में एयर ऑब्‍जर्वेशन पोस्‍ट विंग का नाम बदलकर विमानन विंग कर दिया गया । कॉम्‍बेट सेना विमानन प्रशिक्षण स्‍कूल (CATS(की स्‍थापना अप्रैल 2004 में हुई थी और आर्टिलरी स्‍कूल की विमानन विंग को 2004 से पूरी तरह से मिला दिया गया था ।

 

3          देवलाली 1941 से तोपची की मातृसंस्‍था रही है । यह आकर्षक छावनी अधिकारियों, जूनियर कमीशन अधिकारियों और आर्टिलरी रेजिमेंट के अन्‍य पदों के लिए एकमात्र प्रशिक्षण प्रतिष्‍ठान से कहीं अधिक है । यह सभी पदों अधिकांश गनर्स के लिए घर से दूर एक घर है जो आर्टिलरी स्‍कूल को गर्व और पुरानी यादो के साथ देखते हैं । तथा बार संभव हो देवलाली वापिस लौटने के लिए उत्‍सुक रहते हैं । देवलाली में पेशेवर उत्‍कृष्‍टता और सकारात्‍मक सोच का गनर लोकाचार प्रमुखता से देखा जा सकता है ।