रिमाउंट और पशु चिकित्सा कोर केंद्र और कॉलेज

1.     सामान्य :-    रिमाउंट वैटनरी कोर सेन्टर एवं कालेज (आर वी सी) एकमात्र ऐसा संस्थान है, जिसमें कॉलेज के घटक श्रेणी ए और बी दोनों विद्ममान हैं । कॉलेज पशु चिकित्सा विज्ञान से सम्बन्धित विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण प्रदान करता है । अन्य सेनाओं एवं सेवाओं में पैरा मिलिट्री और मित्रवत देशों के अधिकारियों और जवानों को श्वान तथा घुडसवारी प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है । आर वी सी सेन्टर एवं कालेज युवा पशु चिकित्सा स्नातकों को कमीशन पर बुनियादी सैन्य और तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करता है। इसके अलावा यह आर वी सी के सभी ट्रेडों की बेसिक तथा तकनीकी प्रशिक्षण जैसे- नर्सिंग सहायक        (पशु चिकित्सा), आर्मी डॉग ट्रेनर, क्लर्क, नाल-बंद, प्रयोगशाला सहायक, पशु चिकित्सा और कैनल मैन आदि की प्रशिक्षण भी आयोजित करता है ।

 

इतिहास

2.    आर वी सी अपने इतिहास को वर्ष 1779 तक खोजता रहा है। हलाकि आर वी सी सेंटर और कॉलेज  का दर्ज इतिहास 1920 से सुलभ है। आर्मी वैटनरी स्कूल अम्बाला में स्थानांन्तरित होने से पहले 1920 तक पूना में स्थित था । यह 1947 में सबाथू और 1948 में मेरठ में स्थानान्तरित हो गया था। आर वी सी के साथ सैन्य फार्मो के समामेलन और सौगर आर्मी इक्वीटेशन स्कूल के विलय पर इस सेंन्टर का नाम बदलकर रिमाउंट वैटनरी एण्ड फार्म्स कोर कर दिया गया। 1960 में मिल्टिरी फार्म से विलय के बाद, सेंटर को आर वी सी सेन्टर और स्कूल के रूप में नामित किया गया था। वर्ष 2005 में आर वी सी सेंटर और स्कूल को आर वी सी सेंटर एवं कॉलेज फिर से नामित किया गया था। गणतंत्र दिवस 2016 के अवसर पर अफसरों, जवानों और पशुओं के प्रशिक्षण के असाधारण योगदान के लिए प्रतिष्ठान को जनरल ऑफीसर कमांडिग-इन-चीफ, आर्मी प्रशिक्षण कमाण्ड यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।

 

 

आर वी सी सेन्टर एवं कॉलेज में संकाय

3.    पशु चिकित्सा प्रशिक्षण संकाय :-   पशु चिकित्सा प्रशिक्षण संकाय इस सेन्टर का A श्रेणी का एक प्रतिष्ठित खण्ड हैं। इस संकाय को आर वी सी केन्द्रीय शसस्त्र बलों और मित्रवत देशों के अधिकारियों और जवानों के लिए विभिन्न विषयों में पाठयक्रम संचालित करने की जिम्मेदारी दी जाती है, ताकि वे नवीनतम विकास के साथ पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अद्मतित रहें। यह संकाय घोड़ों और श्वानों की सर्जरी, मेडिसिन, जानवरों का रख-रखाव और नाल-बंदी में विशेषज्ञता से सम्बन्धित पाठयक्रम संचालित करती है। इसके अलावा यह संकाय सूचना तकनीकी कार्य एवं प्रशिक्षण, जूनियर कमांड कोर्स आर वी सी सेन्टर एवं कॉलेज (अधिकारी वर्ग) संचालित करती है। इस संकाय द्वारा व्यवस्थित एडहॉक संकाय आधुनिकीकरण के तहत आर्मी प्रशिक्षण कमांड द्वारा दिये गये विभिन्न कार्यों के आधार पर अध्ययन, नये संकल्पनाओं पर आधारित अध्ययन और विश्लेषण के लिए जिम्मेदार भी हैं। इस संकाय ने कई अभिनव कमद उठायें हैं जैसे – बर्हिरंग रोगी विभागों की सुविधा शुरु करना, लेप्रोस्कोपिक स्पविंग तकनीकि का मानकीकरण, फेकोइमल्सीफिकेशन आदि। नालबंदी खण्ड इस संकाय में नालबंदी ट्रेड के लिए बेसिक तथा एडवांस नालबंदी प्रशिक्षण और अप-ग्रेडेसन कोर्स आयोजित करता है।

 


4.    श्वान प्रशिक्षण संकाय :-   यह संकाय भारतीय सेना के विभिन्न डॉग यूनिटों को सैन्य श्वानों के प्रजनन, प्रशिक्षण और जारी करने के लिए जिम्मेदार है। यह संकाय श्वानों और उनके प्रशिक्षकों को विस्फोटक जांच, माइन डिटेक्शन, ट्रैकिंग, गार्ड डॉग, इन्फैन्ट्री पेट्रोल, हिमस्खलन बचाव, आपरेशन, असाल्ट और रुम इंटरवेंशन और सर्च एण्ड रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रशिक्षण करता है। संकाय ने तीनों सेनाओं के सभी पदों, अर्द्धसैनिक बलों, केंद्रीय शसस्त्र पुलिस सेवाओं और मित्रवत देशों के सभी पदों के लिए विभिन्न कोर्सों का आयोजन करती है जिनमें कैनल मैन कोर्स सहित श्वानों की परिनियोजन और हैंडलिंग शामिल है। इसके अलावा DGMO (Army) के द्वारा निर्धारित की गई सिक्योरिटी ड्यूटी, QMG’S Branch, IHQ of MoD द्वारा विभिन्न जगहों पर श्वान प्रदर्शिनी आयोजित करने का कार्य प्रदान किया जाता है। मेक इन इंडिया राष्ट्रीय प्रावधान के तहत मुदोलहाउंड श्वानों को विस्फोट खोज के लिए प्रशिक्षित किया गया था और अब उन्हें डॉग यूनिटों में तैनात किया गया है। कैनाइन जैरीएटीक कैयर एण्ड “रिहैबिलिटेशन सेन्टर” में बुजुर्ग श्वानों को पुनर्वास के लिए रखरखाव एवं प्रबन्धन के लिए इस संस्थान में बाकी की सेवा के लिए रखा जाता है। हाल ही के समय में   कोविड-19 महामारी के चुनौतिपुर्ण समय में डॉग ट्रैनिंग फैकल्टी ने सफलता पूर्वक कोविड-19 खोजी श्वानों का प्रशिक्षण किया जो की देश में पहली बार किया गया कार्य है। देश में खोजी कुत्ते प्रदान करने और डॉग ट्रैनिंग में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए आर्मी ट्रैनिंग कमाण्ड द्वारा इस संकाय और सेन्टर को 12 मार्च 2013 में “Centre of Excellence” से सम्मानित किया गया।

 

 

5.    अश्वरोहण और पशु प्रबंधन संकाय :-   यह संकाय के सभी पदों के लिए अश्वरोहण एवम पशु प्रबंधन में बेसिक तथा एडवांस कोर्स आयोजित करती है। इसके साथ-साथ यह संकाय अन्य सेनाओं तथा सर्विसेज, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और मित्रवत देशों के लिए उन्नत प्रशिक्षण प्रदान करती है। यह देश में एकमात्र संस्था है जिसमें घोड़ों और घुड़सवारों को बुनियादी एवं उन्नत घुड़सवारी प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए, विश्व स्तर का बुनियादी प्रशिक्षण ढ़ाँचा और सुविधाऐं उपलब्ध है। इसके अलावा यह संकाय घुडसवारी (Sports) के पदोन्नति हेतु राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धायें आयोजित करती है। यह ईकाई भारतीय सेना के घुडसवारों के प्रशिक्षण के लिए 2022 में स्थापित “आर्मी इक्वीटेशन नोड” का प्रबंधन भी किया है। इसके अलावा संकाय को अंतर्राष्ट्रीय घुड़सवारी प्रतियोगिता के लिये, “राष्ट्रीय घुड़सवारी टीम” के खेलों के घोड़ो के प्रशिक्षण के लिए इक्वाइन रोग मुक्त क्षेत्र के सक्रियण और रखरखाव का जनादेश सोंपा गया है। इसके अलावा यह घुड़सवारी के खेल में उत्कृष्ठ प्रदर्शन के लिए बॉयज स्पोर्टस कम्पनी के स्पोर्टस कैडेटों को घुड़सवारी प्रशिक्षण भी देती है। 

 

 

6.    सेन्टर/प्रशिक्षण रेजीमेंट:-     प्रशिक्षण रेजीमेंट आर वी सी कोर के सभी रैंको को बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिसमें रिमाउंट वेटनरी युवा अधिकारीयों की कमीशन से पहले का विभिन्न उन्नयन और पदोन्नति संवर्ग पाठ्यक्रम आयोजित करता है। इसके अलावा जूनियर कमिशंड अधिकारियों व अन्य पद अपने नियमों और शर्तों को पूरा करने पर सेवा से सेवानिवृत होते हैं। सेन्टर UHQ कोटा से भर्ती करने के लिए भी जिम्मेदार है। 2005 में स्थापित “Boys Sports Company” का प्रबंध सेन्टर के द्वारा किया जाता है।

 

 

7.    आर्मी इक्वीटेशन नोड:-    इस नोड की स्थापना आर वी सी सेन्टर एवं कॉलेज, मेरठ में जून 2022 में सेनाध्यक्ष “मिशन ओलंपिक” कार्यक्रम के तहत की गई थी। इसका उद्देश्य भारतीय सेना के चयनित घोड़ों और सवारों को राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीतने के लिए प्रशिक्षण करना है। स्थापना के बाद से नोड कई गुना बढ़ गया है और एशियाई खेलों – 2018 में Eventing अनुशासन में टीम रजत पदक के साथ अन्तर्राष्ट्रीय आयोजनों एवं पदक विजेताओं को बढ़ाया है। रजत पदक जीतने वाली टीम में AEN के तीन सवार शामिल है। अपने विश्व स्तर के क्रास कंट्री कोर्स, Flood लाइट, शो जमपिंग, ड्रैसाज अरेना और अन्तर्राष्ट्रीय मानक शो जमपिंग, Fences के साथ नोड में घोड़ों और घुडसवारों के प्रशिक्षण के लिए देश में सबसे अच्छा बुनियादी ढ़ांचा उपलब्ध है। नोड में वैज्ञानिक मूल्यांकन खेल के घोड़ों के प्रशिक्षण के लिए नवीनतम चिकित्सीय उपकरणों के साथ नवविकसित इक्वाइन स्पोर्टस मेडिसिन सैल भी है। नोड प्रदर्शन में चरम क्षमता और दीर्घायु प्राप्त करने के लिए घोड़े और घुडसवारों के संयोजन में मदद करता है। निर्देशात्मक कर्मचारियों के नियमित प्रशिक्षण के अलावा, घुड़सवारी कौशल को बढ़ाने और अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता की तैयारी के लिए विदेशी प्रशिक्षकों के तहत कोचिंग शिविर भी आयोजित करता है। इन वर्षों में नोड के सवारों ने विभिन्न राष्ट्रीय व आयोजनों में कुल 108 x स्वर्ण, 107 x रजन और 108 x कास्य पदक और कुल 42 x स्वर्ण, 36 x रजत और 43 x कास्य पदक जीतकर लगातार अन्तर्राष्ट्रीय (FEI) Events में पोडियम फिनिस हासिल किया है।

 

8.    बॉयज स्पोर्टस कम्पनी (बी एस सी):-    बी एस सी अवधारणा भारतीय खेल प्राधिकरण और भारतीय सेना का एक संयुक्त उघम में जिसका उद्देश्य 8-14 वर्ष की आयु के संभावित प्रतिभाशाली युवाओं का चयन करना और तैयार करना है। वी एस सी, आर वी सी सेन्टर एवं कॉलेज मेरठ 2005 में शुरू हुआ था। जब बी एस सी अस्तित्व में आई, उस समय कच्ची प्रतिभा वाले 93 लड़कों को BSC में शामिल किया गया और उन्हें राइडर बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। इन कैडिटों को अश्वरोही खेलों में घुड़सवारी के बुनियादी ढ़ांचे, 10 कक्षा तक की शिक्षा का उपयोग करके प्रशिक्षण किया गया और भारतीय सेना में नामांकित होने के लिए तैयार किया गया। आर.वी.सी. सेन्टर एवं कॉलेज में बी एस सी ने 66 घुडसवारों को राइर्डस बनाया है जो घुड़सवारी खेल प्रतियोगितओं में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहें है। विभिन्न राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में कैडिटों की उपलब्धियां उल्लेखनीय रही है। जूनियर राष्ट्रीय स्तर पर इन्होंने स्थापना के बाद से 114 x  स्वर्ण, 112 x रजत, और 104 x कास्य पदक जीते है। गौरतलब है कि 2 पूर्व स्पोर्टस कैडेटस ने 18वें एशियाई खेलों (2018) में भाग लिया और देश के लिए रजत पदक जीते।