1. परिचय. संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना के लिए भारतीय सेना की पहली प्रतिबद्धता कोरिया में युद्ध की स्थिति निर्माण होने पर हुई। चीनी सेना द्वारा समर्थित उत्तर कोरिया और (अमेरिका के नेतृत्व वाली) संयुक्त राष्ट्र बलों द्वारा समर्थित दक्षिण कोरिया के बीच तीन साल तक युद्ध चला जो 25 जून 1950 को शुरू हुआ था।जनरल डगलस मैक आर्थर के तहत 16 देशों के सैनिकों को संयुक्त राष्ट्र बहुराष्ट्रीय बल के रूप में गठित किया गया था।
2. योगदान. भारत ने संयुक्त राष्ट्र बहुराष्ट्रीय बल को पैराशूट फील्ड एम्बुलेंस के रूप में एक मेडिकल यूनिट का योगदान दिया। पैराशूट फील्ड एम्बुलेंस को दो संस्थाओं के रूप में संचालित करने का काम सौंपा गया था। युद्ध क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय सैनिकों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल ए जी रंगराज द्वारा निर्देशित प्रमुख दल और मेजर एन बी बनर्जी के नेतृत्व में यूनिट को ताएगू शहर में दक्षिण कोरियाई फील्ड अस्पतालों को सहायता प्रदान करने का कार्य प्रदान किया गया था । कठिन और चुनौतीपूर्ण इलाके वाले मौसम में मेडिकल यूनिट के कर्मियों ने सराहनीय कार्य किया। कठिन बाधाओं का सामना करते हुए, भारतीय फील्ड एम्बुलेंस ने अपने तीन साल के महत्वपूर्ण कार्यकाल के दौरान युद्ध हताहतों और बीमार और घायलों को सहायता पंहुचाने में अनुकरणीय योगदान दिया। यूनिट के इस अनुकरणीय योगदान की ग्रेट ब्रिटेन के युद्ध मंत्री ने सराहना की जिसके फलस्वरूप ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ (House of Commons) में यूनिट व कमांडिंग ऑफिसर को सम्मानित किया गया। इस दौरान यूनिट को अमेरिकी सेना से "यूनिट प्रशस्ति पत्र" प्राप्त करने का अनूठा गौरव भी प्राप्त हुआ। वीरता और अनुकरणीय कार्यों के लिए यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल ए जी रंगराज को महावीर चक्र तथा अन्य सैन्य कर्मियों को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
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60 पैराशूट फील्ड एम्बुलेंस एयर ड्राप आपरेशन के बाद पुनर्गठित होते हुए |
भारतीय फील्ड एम्बुलेंस द्वारा स्थापित अग्रिम ड्रेसिंग स्टेशन | |
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हताहतों की निकासी का कार्य प्रगति पर |
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