विभाजन की टीस

विभाजन के प्रभाव से भारतीय आर्टिलरी भी अछूती नहीं रही । इसमे फील्ड, एयर डिफेंस, काउंटर बोम्बार्ड्मेंट तटीय, एयर ओब्सर्वेसन पोस्ट शाखाऐ शामिल थी तथा इसे साढ़े अठारह आर्टिलरी रेजिमेंट आबंटित की गई जबकि बाकी नौ यूनिटे पाकिस्तान को आबंटित कर दी गई ।

भारत

पाकिस्तान

1 फील्ड रेजिमेंट (एस पी)

1 सर्वेक्षण बैट्री

2 फील्ड रेजिमेंट (एस पी)

3 फील्ड रेजिमेंट (एस पी)

7 फील्ड रेजिमेंट

4 फील्ड रेजिमेंट

8 फील्ड रेजिमेंट

5 फील्ड रेजिमेंट

9 (पैरा) फील्ड रेजिमेंट

12 (पैरा) फील्ड रेजिमेंट

11 फील्ड रेजिमेंट

18 हैवि एंटि क्राफ़्ट रेजिमेंट

13 फील्ड रेजिमेंट

21 माउंटेन रेजीमेंट

16 फील्ड रेजिमेंट

25 लाइट एंटि एयरक्राफ़्ट रेजिमेंट

17 (पैरा) फील्ड रेजिमेंट

22 एंटि टैंक रेजिमेंट

20 सर्विसेस रेजिमेंट (एक बैट्री को छोड़कर)

38 मीडियम रेजिमेंट

22 माउंटेन रेजीमेंट

 

 

 

 

 

24 माउंटेन रेजीमेंट

26 लाइट एंटि क्राफ़्ट रेजिमेंट

27 लाइट एंटि क्राफ़्ट रेजिमेंट

34 (मराठा) एंटि क्राफ़्ट रेजिमेंट (एस पी)

35 (लिंगायत) एंटि टैंक रेजिमेंट (एस पी)

36 (मराठा) एंटि टैंक रेजिमेंट

37 (कूर्ग) एंटि टैंक रेजिमेंट

 

पहले से तनावपूर्ण माहोल के अलावा एक सवाल स्वयं अंग्रेज़ो के संबंध में था कि वो किस ओर जाएंगे क्या वो अपनी मौजूदा यूनिट के साथ ही रहना पसंद करेंगे ? ये सवाल अनसुलझे ही रहे तथा 659 स्क्वार्ड्न के मेजर पी डी मोरिस को इंग्लैंड में कर्नल बेणाली के रूप में बेहद भरोसेमंद साथी मिला जिसे वह अपने मन की बात कह सकते थे । मेजर मोरिस ने 14 अगस्त 1947 को अपने पत्र में लिखा –

“ मैं यह पत्र 659 स्क्वार्ड्न के अस्तित्व के अंतिम दिन लिख रहा हूँ । आज आधी रात को इस स्क्वार्ड्न को संतारीख रूप से विघटित कर दिया गया है तथा दो स्वतंत्र एयर ओ पी  फ्लाइट एक भारतीय तथा एक पाकिस्तान की  स्थापना की गई है । लेकिन विभाजन अभी भी अस्पष्ट है । हमारे यहाँ कोई मुस्लिम ऑफिसर नहीं है ।

केवल कुछ वरिष्ठ भारतीय अथवा पाकिस्तानी वायु सेना के एन सी ओ है । तथा कोई भी भारतीय अथवा पाकिस्तानी गनर्स नहीं है । स्क्वार्ड्न के सभी अंग्रेज़ सदस्यों को यह एक वर्ष के लिए रुखने के विकल्प के लिए वलांटिएर करने का अवसर दिया गया है परंतु सेवा शर्तें बहुत खराब है तथा पूरे स्क्वार्ड्न में एकमात्र इच्छाधारि ही हो ।"

 

सेना वायु रक्षा

भारतीय वायु रक्षा आर्टिलरी की उत्तपत्ति 01 अगस्त 1940 को हैदराबाद में भारतीय एंटि क्राफ़्ट रेजिमेंट की स्थपना के साथ हुई । वायु रक्षा के तीव्र आधुनीकरण एवं विस्तार के साथ साथ के दशक में अफसरो के लिए  आर्टिलरी स्कूल में कन्वर्शन कोर्स की शुरुआत की गई । इसके पश्चात अफसरो को फील्ड आर्टिलरी से एयर डिफेंस आर्टिलरी में स्थानांतरित किया गया । 1969 में आर्टिलरी स्कूल, देवलाली में अलग से एक वायु रक्षा विंग की स्थापना की गई ताकि विशेषाग्ण प्राप्त किया जा सके । दिसम्बर 1989 में इस विंग को आर्टिलरी स्कूल देवलाली से स्थानांतरित करके गोपालपुर में एयर डिफेंस एवं गाइडेड मिसाइल स्कूल (वर्तमान में सेना वायु रक्षा कॉलेज के नाम से जाना जाने वाला) के रूप में स्थापित किया गया । 10 जनवरी 1994 को आर्टिलरी रेजिमेंट से अलग करके औपचारिक रूप से सेना वायु रक्षा कोर की स्थापना की गई ।

 

सेना विमानन कोर

आर्टिलरी अफसर पिछले 60 वर्ष से एयर ओब्ज़र्वेशन पोस्ट के रूप में विमान के नियंत्रण संबंधी कार्य करते रहे है । चुनिंदा आर्टिलरी अफसर का यह विशिष्ट दल विभिन्न तरह की मशीनों के दौरान छोटे बगैर हथियारो वाले एवं फ़िक्स्ड विंग वाले विमान उड़ते थे । उस समय से ही सेना अपने वायु सेना के लिए मांग कर रही थी जिस पर इसका पूर्ण नियंत्रण हो एवं सेना के ही कार्मिक तैनात किये गए हो। यह सोच वैच्छिक प्रचलन तथा उपयुक्त सामरिक एवं रणनीतिक कारणो से मेल खाती थी । लंबे समय तक बहस एवं परामर्श के पश्चात भारत सरकार ने वर्ष 1986 में सेना विमान कोर के गठन के लिए औपचारिक अनुमोदन प्रदान कर दिया ।