बख्तरबंद कोर सेंटर और स्कूल

कवचित कोर केंद्र और स्कूल

आर्मर्ड कॉर्प्स सेंटर एंड स्कूल (एसीसी एंड एस), भारतीय सेना का प्रमुख और एशिया में अपने प्रकार का एकमात्र आर्मर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है। इसका इतिहास तार्किक रूप से 1931 में शुरू हुआ कहा जा सकता है जब छह ब्रिटिश बख्तरबंद कार कंपनियां भारत आईं और अहमदनगर में तैनात की गयी। चूंकि उन्हें विशेष रूप से ब्रिटिश चालक दल द्वारा संचालित किया गया था, इसलिए उन्हें प्रशिक्षित करने की आवश्यकता के कारण 1924 में एक रॉयल टैंक कोर स्कूल (आर टी सी एस) की स्थापना हुई। इस स्कूल में एक ड्राइविंग एंव रखरखाव और एक गनरी सेक्शन शामिल था, जिसे मशीन गन स्कूल भी कहा जाता है, कोपरवाड़ी में स्थित था और जहॉ 303 विककर्स मशीन गन, लुईस और हॉटचिस गन प्रकार के हथियार जो कि बख्तरबंद कारों पर लगाए गए थे, पर प्रशिक्षण दिया जाता था।

1938 में, सिंध हार्स और 13वें लांसर्स ने बख्तरबंद कार रेजीमेंट में परिवर्तित होना शुरू किया। इस अवधि के दौरान, तीन रेजिमेंटों को प्रशिक्षण रेजिमेंट में परिवर्तित किया गया और वे निम्नानुसार स्थित थे: -

- 15 लांसर्स (क्यूरेटन मुल्तानिस) झांसी - ट्रेनिंग रेजिमेंट- I

- 12 कैवलरी (सैम ब्राउन) फिरोजपुर - प्रशिक्षण रेजिमेंट -II

- 20 लांसर्स, लखनऊ - ट्रेनिंग रेजिमेंट (इंडियन कैवेलरी ग्रुप)-III

द्वितीय विश्व युद्ध के फैलने के साथ, और सभी भारतीय घुड़सवार रेजिमेंटों के मशीनीकरण के परिणामस्वरूप, आर्मर्ड कोर के अधिकारियों, जेसीओ और एनसीओ के लिए एक प्रशिक्षण प्रतिष्ठान की आवश्यकता महसूस की गई। नतीजतन, अहमदनगर में फाइटिंग व्हीकल स्कूल की स्थापना की गई। फाइटिंग व्हीकल्स स्कूल को दो विंगों में विभाजित किया गया था, ब्रिटिश और भारतीय। ब्रिटिश और भारतीय दोनों अफसर तथा ब्रिटिश ओआरएस के प्रशिक्षण  की जिम्मेदारी ब्रिटिश विंग की थी, जबकि जेसीओ और भारतीय एनसीओ के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी भारतीय विंग की थी। इस अवधि के दौरान तीन प्रशिक्षण रेजिमेंटों को मिला दिया गया और उन्हें भारतीय कवचित कोर प्रशिक्षण केंद्र, फ़िरोज़पुर और भारतीय कवचित कोर प्रशिक्षण केंद्र, लखनऊ के रूप में पुनर्गठित किया गया। पहले में 15वीं लांसर और 12वीं कैवलरी शामिल थी, जबकि दूसरी मूलतः 20वीं लांसर थी।

भारी प्रतिबद्धताओं और कवचित कोर के विस्तार के कारण बबीना मेंएक और प्रशिक्षण केंद्र बनाया गया, और इन केंद्रों का फिर से 1943 में नाम बदल दिया गया। 1946 में लखनऊ रेजिमेंट को रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर के रूप में फिर से नामांकरित किया गया था और आर्मर्ड कॉर्प्स डिपो और रिकॉर्ड्स  को भी यहॉ स्थापित किया गया। दोनो ट्रेड प्रशिक्षण केंद्रों को ट्रेड प्रशिक्षण विंग के रूप में फिर से नामांकित किया गया जिनका फिरोजपुर और बबीना में रहना जारी रखा गया।

1948 में, विभाजन के बाद, प्रशिक्षण रेजिमेंट और कवचित कोर डिपो और रिकॉर्ड्स को अहमदनगर में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां फाइटिंग व्हीकल स्कूल पहले से ही कार्यात्मक था और इन सभी को मिलाकर क्रमशः कवचित कॉर्प्स सेंटर और स्कूल तथाकवचित कोर रिकॉर्ड बना दिया गया। केंद्र और स्कूल के पहले कमांडेंट ब्रिगेडियर डब्ल्यूबी एस्पिनॉल थे। पहले भारतीय कमांडेंट ब्रिगेडियर डी चौधरी थे, मेजर जनरल एएस वैद्य, एमवीसी*, एवीएसएम (बाद में सेनाध्यक्ष) इस प्रतिष्ठान की कमान संभालने वाले पहले मेजर जनरल थे। लेफ्टिनेंट जनरल जीएस क्लेर, एवीएसएम लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर रहने वाले पहले कमांडेंट थे।

1948 के उपरांत एक टैंक मैन के लिए अहमदनगर का दर्जा ‘मक्का’ के सम्मान है। यह एकमात्र ऐसा सैन्य प्रतिष्ठान है जहॉ ‘सेंटर’ एंव ‘स्कूल’ को स्थापना के दौरान से ही मिला दिया गया, जिससे गुरू और शिष्य के बीच हरएक स्तर पर जैसे की रंगरूट, जवान, सरदार और अफसर, पर सांस्कृतिक एंव पेशेवर मेल-मिलाप को सुनिश्चित किया गया । इसी एकता की ताकत से कोर अपनी अनोखी शक्ति को बनाए रखता है। 

वर्षों से, एसीसी एंड एस को अवधारणा और प्रशिक्षण सिद्धांतों में बदलाव के अनुरूप पुनर्गठित किया गया है और आज स्कूल अपने नवनिर्मित भवनों में स्थानांतरित हो गया है। प्रशिक्षण सामग्री के आधुनिकीकरण, प्रशिक्षण विधियों में परिवर्तन, सूचना प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर प्रवाह के साथ-साथ प्रशिक्षण सामग्री के पूर्ण पैमाने पर डिजिटलीकरण ने स्थापित प्रवृतियों और कार्यों के तरीके को समुचे रुप से बदल दिया है।

वर्तमान में एसीसी एंड एस में स्कूल ऑफ आर्मर्ड वारफेयर (एसएडब्ल्यू), स्कूल ऑफ टेक्निकल ट्रेनिंग
 (एस ओ टी टी), बेसिक ट्रेनिंग रेजिमेंट (बी टी आर), ड्राइविंग एंड मेंटेनेंस रेजिमेंट (डी एम आर), ऑटोमोटिव रेजिमेंट (ऑटो रेजीमेंट), आर्मामेंट एंड इलेक्ट्रॉनिक्स रेजिमेंट (ए और ई रेजिमेंट), आर्मर्ड कॉर्प्स डिपो (ए सीडिपो), आर्मर्ड कॉर्प्स रिकॉर्ड्स (एसी रिकॉर्ड्स) और अध्ययन संकाय (एफओएस) शामिल है।